सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा अभिवादन !!
मेरी कहानी "साॅरी मम्मी..साॅरी पापा" आप सभी को बहुत पसंद आई !
इसके लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया !!
मगर मेरे कुछ दोस्तों ने प्रत्यक्ष रूप से बताया (विशेषकर मेरी श्रीमती जी ने) कि
आपने नेहा को क्यों मार दिया कहानी के अंत में !!
आपके कहानी का संदेश तो आत्महत्या जैसी कायरता को सपोर्ट करता है और प्रमोट भी जो कि बिलकुल गलत है !!
उल्टे , नेहा को परिस्थतियों से लड़ते हुए दिखाना चाहिए था .. रोल माॅडल के रूप में पेश करना था तो आपने उसे मार ही दिया !!
इतने अच्छे मम्मी-पापा का दिल दुखाना और उन्हें छोड़ जाना..ये कौन सी बहादुरी का काम है !!
फिर कहानी की शिक्षा कितनी खतरनाक है..हमारी ज़िन्दगी में कोई समस्या आये तो हमें बिना फाइट किये घुटने टेक देना चाहिए और नेहा की तरह सुसाइड कर लेना चाहिए ! भला ये कैसी बात हुई ।
या तो आपको मम्मी-पापा का कैरेक्टर नकारात्मक दिखाना था तो भी समझ में आती ये बात कि लड़की ने मम्मी-पापा से तंग आकर ऐसा नकारात्मक कदम उठाया !
एक कायर लड़की नेहा जो अपने अच्छे -खासे मम्मी-पापा का दिल तोड़ दी !!
एक मिनट के लिए तो सोचना था..कम से कम....अपने माँ-बाप के बारे में कि उसके मरने के बाद उनका क्या होगा ??
और भी बहुत से सवाल !!
अब मेरे तरफ से एक कहानीकार के नाते स्पष्टीकरण ये है कि..
यही तो चाहिए था..यही तो संदेश देना था मुझे !!
यही इस कहानी की जीवंतता है कि लास्ट में पीड़ा होती है हम पाठकों को !
एक तकलीफ सी होती है !
काश sssss नेहा ऐसा नहीं करती !
नेहा का सुसाइड लेटर चीख-चीखकर बहुत कुछ कह रहा है हम सभी पाठक दीर्घा को... !!
कि रूक जाइये...मत भेजिये अपने बच्चे और बच्चिय को ऐसी जगह जहाँ कोचिंग के नाम पर सिर्फ व्यापार चल रहा है..मोटिवेशन के नाम पर सस्ता मनोवैज्ञानिक जहर दिया जा रहा है ।
भेदभाव का रूप कितना विकृत हो चुका है ।
अपराधी क्या हमारा रटा-रटाया सिस्टम नहीं है बहुत हद तक या कुछ हद तक !
क्या इस अपराधी का कुछ होना नहीं चाहिए !
आदमी को बाॅथरूम भी साफ-सुथरा चाहिए नहाने के लिए और गन्दा भी किये जा रहे हैं !
क्या हमने एजुकेशन को गटर नहीं बना डाला है व्यावसायिकता का रंग देकर !!
इस कहानी के कैनवास का विश्लेषण करें तो हम पायेंगे कि अगर इस कहानी का हैप्पी एन्डिंग कर दिया जाये तो कहानी का शेड पूरी तरह बदल जाता ।
कहानी बहुत ही कमजोर हो जाती और जो अप्रत्यक्ष खलनायक हैं हमारे स्टूडेंट के चारों तरफ...वो हैप्पी-हैप्पी में कहीं खो जाते !
सच्चाई तो यही है कि इन कुपात्रों का अन्त होना चाहिए !!
नेहा को जीने दीजिये..सोचने दीजिये..उसे उसके हिसाब से जीने दीजिए !
हम क्यों बनाना चाहते हैं सबको डाॅक्टर ??
क्या आर्ट विषय बेकार है ?
क्या संगीत में कोई भविष्य नहीं है हमारा ?
अब तो एम. बी.बी.एस.डाॅक्टर हज़ारों भरे पड़े हैं शहरों में !!
क्या सभी की डाॅक्टरी चल रही है एक समान ??
क्या डाॅक्टर डिप्रेशन में नहीं हैं ??
हमारे जीवन की त्रासदी यही है कि हम घूट-घुटकर जीना पसंद करते हैं मगर कुछ और नहीं !
दूसरी सबसे बड़ी बात..
हकीक़त में तो ऐसी भयावह कोचिंग सेन्टरों के आसपास न जाने कितने नेहा मर रहे हैं..न जाने कितने पल्लव मर रहे हैं..पल्लवित होने से पहले !!
कब तक हम कहानी के हैप्पी इंड के नशे के शिकार होते रहेंगे !!
बेहतर तो यही है कि कहानी में नेहा भले ही मौत को गले लगा ले..मगर हकीक़त में नेहा को जिन्दा रहना चाहिए !!
और उसे जिन्दा रखेंगे हम और आप !!
अच्छी बात है कि कहानी एक सपने की तरह है जिसमें कोई अपना खतम हो चुका है जिसकी तकलीफ हमें इतनी हो कि सुबह हकीक़त में जिन्दा देखने पर हम उसकी ज्यादा परवाह करें..लाड़-दुलार करें .. प्यार करें !
ध्यान रखियेगा ,
अगर आपकी भी कोई नेहा आसपास पढ़ती हो तो उसे खूब स्नेह दीजियेगा..अपनों का प्यार दीजियेगा और हो सके तो उसे स्वयं ही कोई मनपसंद विषय छाँटने दीजियेगा !!
बहुत बड़ी सलाह यही है दोस्तों ..
इस अधिकतम पचास बरस की ज़िन्दगी को..बाग को खूबसूरत बनाइये..मनमोहक बनाइये और आनन्दमय बनाइये !
हम कितना भी उपद्रव कर लें यहाँ..हजार साल जीने की कोई व्यवस्था नहीं है !!
और अगर है तो बताइये.. !!
मैं अभी कहानी के अंत को बदल देता हूँ !
सुना है मैंने आज ही कि वह दिन दूर नहीं जब हम पानी के एक लीटर बोतल को सौ रूपये में खरीदेंगे और पेट्रोल के एक लीटर को बीस रूपये में !!
क्योंकि जब पानी ही नहीं रहेगा तो गाड़ी घर में खड़ी हो रहेगी ना..बोले तो !!
देखता हूँ..इसके ऊपर भी कोई कहानी लिखूँ..मगर पढ़ियेगा ज़रूर !!
अब ये किसने कहा भई..कि पानी का एक लीटर दो सौ रूपये में नहीं बिक सकता .. ??
मेरे स्पष्टीकरण से आप सभी सहमत या असहमत जो भी हुए होंगे ,कमेंट ज़रूर कीजियेगा 🙏🙏
पुन: नमस्कार आप सभी दोस्तों को 💜💜
लेखक : वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है