चलती का नाम ज़िंदगी है,
रुक जाए तो बंद गली है।
हर सुबह नई कहानी कहती,
हर साँझ में थोड़ी तन्हाई रहती।
कभी धूप की तरह तपे हैं हम,
कभी छाँव से भी डर गए हैं हम।
मंज़िल का नाम सुना है बस,
रास्तों से ही दोस्ती कर गए हैं हम।
कभी आँसू, कभी हँसी की लकीर,
कभी उम्मीद, कभी तक़दीर की तासीर।
जो गिरा, वही तो उठना सीखा,
जो टूटा, उसने ही जीना सीखा।
जिंदगी न ठहरती, न थमती कहीं,
ये कारवाँ चलता है यहीं वहीं।
बिखरे लम्हों को समेटते रहे,
टूटे सपनों को जोड़ते रहे।
जो चला नहीं, वो क्या जिया?
जो जिया नहीं, वो क्या दिया?
हर मोड़ पे इक नया इम्तिहान है,
और चलना ही असली पहचान है।
तो चलो मुस्कुरा के चलें,
कुछ आँधियों को जला के चलें।
क्योंकि —
चलती का नाम ज़िंदगी है दोस्त,
वरना सब कुछ बस यादें हैं, दोस्त।
----अनुपम सिन्हा