मन से मन को।।
कोई तो विचार तेरे मन का मेरे ख्यालों में आया होगा,
न जाने किस चेतना ने तेरे मन को मेरे मन से मिलाया होगा।।
कोई खोज खबर रखोगे तनिक तन की कब्र पर,
वैसे मन को ढूंढ लिया है तुम्हारे आने की सब्र पर।।
इम्तिहान भी होगा होश के आने पर,
प्रेम भी होगा तुम्हारे दिल के कारागाह में जाने पर।।
हां हम शर्मा गए तुम्हारे दीदार पाने पर,
जी चाहता है आंसू बहाते रहे तुम्हारे चेहरे की मुस्कान आने पर।।
कितना सुकून आता है तुम्हारे तेवर दिख लाने पर,
यही होंठ चुप हो जाते हैं तुम्हारी पलकों के इशारों पर।।
लापता दिल को किन शरारती धड़कनों ने पाया होगा,
कौन सा बादल मेरी इश्क जमीन पर आया होगा।।
वही तो मैं सोचता हूं क्यों तुम्हारा प्रेम मेरी आंखों में एक ख्वाब बनकर छाया होगा,
कौन है वह प्रेम पिपासु जिसने तेरे मन को मेरे मन से मिलाया होगा।।