बेशर्म ,कामचोर और मक्कारी,
तीन दलाल और ये भ्रष्टाचारी।
बढ़ रही है भूख दौलत की,
नजरे झुकाए बैठे हैं जिल्लत की।
हाथ रखकर गीता पर,
खाते हैं बड़ी-बड़ी कस्में।
पकड़े गए हैं रंगे हाथ,
अजीबोगरीब हैं इनकी किस्में।
विषधर बैठे फन फैलाए,
जहर भरा है नस-नस में।
अजब गजब है भ्रष्टाचारी,
जरा संभल कर चलना ,भाई।
अब है इनकी शामत, आई।
खुल रही हैं, पोल भ्रष्टाचार की।
याद आती है इन्हें, पल पल जेल की।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




