हम उसके हैं जो सच्चा है झूठ बोलने वाला किसी का नही होता
बेटा हो या बेटी गर हम सच्चे नही तो न मेरा होगा न खुदा का होगा
नफ्स की पुजारी अपनी चाहत के खातिर माता पिता को छोड़ देता है
सच्चाई छोड़कर जीवन गुजारने वाले का कोई मज़हब नहीं होता
यहूदी और मुसलमान का रहन सहन सबकुछ जब एक जैसा ही है
ऐसी हाल में गैबी मदद क्यूं करे फलस्तीन के मुसलमानों पर खुदा
खुदा किसी शख्स या मज़हब का तरफदारी नहीं करता सब उसका है
एक झूठ से इंसानियत तबाह होजाती है कोई खुद में देखे खुदा को देखे बेगैर
कोई नमाज़ न पढ़े मंदिर न जाए गर जो सच्चा है उसका महाफिज़ खुदा है
इस दौर का मुसलमान में कोई खूबी नहीं जिस कारण इंसानियत भंग हो गया है
झूठ की जीवन में दया नही होता खुदा का मस्जिद अक्सा में खुशबू नहीं महकती है
वसी अहमद क़ादरी । वसी अहमद अंसारी
मुफक्किर मखलुकात ।मुफक्किर ए कायनात