दिल का ज़ख्म कभी शायराना नही बनता।
चाहतों भर से कहीं पर ठिकाना नही बनता।।
बेहिसाब प्यार तन्हाई से कौन करता यहाँ।
ग़मगीन वक्त में दिल अफ़साना नही बनता।।
जिन्दगी तूने उदास ही देखा हर समय मुझे।
मोहब्बत के दौर में कोई सयाना नही बनता।।
अब तो गिनना छोड़ दिया रात में तारो को।
बचपन की बात और अब सताना नही बनता।।
चाँद तो चाँद है 'उपदेश' उसके अपने उसूल।
हर मौसम में चाँद अब दीवाना नहीं बनता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




