तुम भी कुछ लिख लो ना,
खुद पर ना सही मुझ पर ही लिख दो ना।
तुम भी कुछ..........!
और कुछ नहीं तो अपना दुःख दर्द
अपनी खुशियां ही लिख दो ना,
खुद के ग़म ना सही मेरे ग़म ही लिख दो ना।
तुम भी कुछ...........!
अपना मिज़ाज, अपनी दास्तां को
शब्दों में ढाल दो ना,
अपनी ना सही तो
मेरी फितरत ही लिख दो ना।
तुम भी कुछ...........!
अपना हाल - ए - दिल, अपने राज़ को
कविता रूपी माला में पिरो दो ना,
अपने ना सही मेरे जज़्बात ही
लिख दो ना।
तुम भी कुछ..........!