इस महफिले अदब में कभी आ जाइये जनाब
लुत्फ़ जामे शायरी का मजा ये उठाइये जनाब
बंदिश नहीं है कोई भी शेरो शायरी सुखन पर
सुनिए मेरा कलाम अपना सुना जाइये जनाब
दर खुला है कलम के जौहर दिखाने के लिए
दिल की सब हसरत यहाँ कह जाइये जनाब
शेरो सुखन का बारदाना तो कलम दवात भी
है इश्के स्याही में असर दिखा जाइये जनाब
जहाँ ऐसे गुल खिलेंगे वहाँ बिजलियां गिरेंगी
हुश्नों जमाल की है शमा जला जाइये जनाब
यह दास “लिखन्तु”का अदना सा किरानी है
लिखने का हुनर कुछ अता कर जाइये जनाब II