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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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कविता की खुँटी

                    

हमने देखा है खुशी को

कापीराइट गजल

हमने देखा है खुशी को गम में ढ़लते हुए
हमने देखा है किसी को गम में जलते हुए

कौन पौंछेगा अब इन की आंखों के आंसू
हमने देखा है जमाने को रंग बदलते हुए

किस ने देखे हैं भला, उन के पैरों के छाले
हमने देखा है उन्हें तब धूप में चलते हुए

गैर, तो गैर थे अपनों से,भी बढ़ गई दूरी
हम ने देखा है उन को, दुआएं करते हुए

इलाज और दवा उनको वक्त पर ना मिले
हम ने देखा है किसी को, जेब भरते हुए

छूना भी अब मुनासिब, नहीं समझता कोई
छुपा लेते हैं चेहरा, घर से निकलते हुए

आखरी रस्म भी अपनों की निभा नहीं पाए
छुप के बैठे थे घरों में, मौत से डरते हुए

दो गज की दूरी यादव, तुम बनाए रखना
वर्ना पछताओगे तुम ये दम निकलते हुए

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना यादव जी। सादर प्रणाम।🙏🙏

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात सहित नमस्कार सुभाष जी आपको सादर प्रणाम।

कमलकांत घिरी said

वाह बहुत सुंदर सर जी, 👌👏🙌सादर प्रणाम आपको🙏🙏

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात सहित नमस्कार कमलकांत भाई, बहुत सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद।

श्रेयसी said

Bahut sunder rachna, saadar pranaam 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार श्रेयसी जी आप पर मां सरस्वती अपनी कृपा बनाए रखे।

अर्पिता पांडेय said

बहुत खूब लिखा है आपने सादर प्रणाम

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात सहित नमस्कार अर्पिता जी आपकी प्रतिक्रिया सदैव प्रेरणादायक होती है, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

वन्दना सूद said

sir,बहुत ही touching lines👌👌

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार वन्दना जी, आपकी प्रतिक्रिया बेहद प्रेरक है, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।

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