किस्मत से मिली बदकिस्मती तुम्हारी।
उसे आशीष समझा हमदर्दी हैं तुम्हारी।।
बहार आ गई जिन्दगी में मनमुटाव तेरा।
खुशकिस्मती हमारी तन्हाई रही तुम्हारी।।
गिला खुदा से रही आजमाया नही मुझे।
कुलबुलाती रही 'उपदेश' दया तुम्हारी।।
घटाओं से घिरी झील सी दोनों आँखें।
डबडबाकर गिराती भरी पलके तुम्हारी।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद