दिल, दिल नहीं रहा, जंग-ए-मैदान हो गया,
खुद ही खुद से लड़ कर मैं परेशान हो गया।
जब भी किया प्रहार, पूरी ताकत से उस पर,
चोट उसको लगे और मैं, लहूलुहान हो गया।
एक-एक, टूट-टूट के अलग हुए मुझसे हिस्से,
नरमदिल पत्थर से मजबूत चट्टान हो गया।
दिल खोलकर जिसे बताया था दिल के राज़,
ईमान देख कर वही शख़्स बेईमान हो गया।
बात करता बड़े एहतराम से सुनते नहीं कोई,
अब सुनते हैं, जब से मैं, बदज़बान हो गया।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




