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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बङी मुददत के बाद

बङी मुद्दत के बाद
बङी मुद्दत, के बाद, वो हमें नजर आए
शुक्र, है, कि, आज, वो हमें नजर आए
ढ़ूंढ़, रही, थी, मेरी नजरें, बार-बार उन्हें
बहुत, दिनों के बाद, वो हमें नजर आए
था उन के, चेहरे पे, एक, नूर अलग सा
मुस्कुराते, हुए जब, वो, हमें नजर आए
दिल में, जज्बात, मेरे, यूं , मचलने लगे
एक, अरसे के बाद, वो हमें नजर आए
दिलों में फासले, जब यूं ,कम होने लगे
बङे, लाजवाब, हमें वो, तब नजर आए
म॔जिल, मिले, ना मिले, अब हमें यादव
बङे सुकून में, खुद को, हम नजर आए
- लेखराम यादव


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अनुष्का सिंह said

Bahut Umda 👌👌 Chaliye Najar to aaye

Lekhram Yadav replied

अनुष्का जी तारीफ के लिए शुक्रिया, मेरे लिए इतना ही काफी है कि हम आपकी नजरों में आ गए।

फ़िज़ा said

बहुत लाजवाब

Lekhram Yadav replied

फिजा जी मगर आपकी तारीफ इससे अधिक लाजवाब है। शुक्रिया जी।

लिखन्तु - ऑफिसियल said

Bahut Khoob Likha mahoday

Lekhram Yadav replied

शुक्रिया जनाब, यदि आप मुझे अपने परिवार में बतौर कवि या शायर शामिल कर लो तो मैं जीवन भर आपका आभारी रहूंगा

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