जब भी किसी तकलीफ़ में होती हूॅं,
तो तुझसे लिपट रोने को जी चाहता है।
ये निग़ाहें तुझ ही को ढूॅंढ़ती,
तेरे सिवा इन्हें कुछ और नहीं सूझता है।
जब भी कोई खुशी होती है,
सबसे पहले तुझे बताने का दिल करता है।
तेरे हाथों में अपना हाथ रख,
उस सुकून को वही रोकने का मन करता है।
जब भी किसी तकलीफ़ में होती हूॅं,
बस तू ही तू मेरे मन मस्तिष्क में रहता है।
तू मिटा देगा ज़िंदगी के हर दर्दों ग़म को,
पता नहीं क्यों दिल में यही ख़याल चलता है।
जब भी कोई खुशी मिलती है,
तेरे साथ आसमाॅं में उड़ने को दिल कहता है
वो पल और वो साथ तेरा थम जाए वहीं,
पल-पल, रोम-रोम बस यही कामना करता है।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




