सुने क्या तुमने स्वर सजीले
करुण- करुण मधुर- मधुर।
घुलते जिसमें वेदना के
रश्मि प्रवाह अरुण अरुण।
नींद नयन की छीन जो
बन बैठा मलय पवन।
तिमिर सागर चीरते
जिसके ज्योतिर्मय लहर।
निर्जन पथ में पुष्प पल्लव
बिखेर गया जो सघन।
घिर हृदय में बरसा वह
श्याम घन मगन मगन।
शून्य को श्वास में बदलती
जिसकी सुगम लय।
क्या सुना तुमने कोई ऐसी
सरगम की धुन मधु मय।
सुनना जब तो दे देना
उसको मेरा निरीह पता।
रज कणों की व्याकुलता
व्यापक विस्तृत बता।
००० वंदना अग्रवाल 'निराली'

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




