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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

मैं ठिकाना ढूंढता हूं – कमलकांत घिरी

"मैं ठिकाना ढूंढता हूं, बस ठिकाना ढूंढता हूं,
कभी हिमालय की बर्फीली चोटी में तो,
कभी थार की धधकती धरती में,
मैं यूं ही फिरता हूं,
मैं ठिकाना ढूंढता हूं!

कभी धूप की झुलसती गर्मी, कभी पानी की बौछारें,
तो कभी शीत की ठंडी लहरों से जूझता हूं,
मैं ठिकाना ढूंढता हूं, बस ठिकाना ढूंढता हूं!

कभी इस डाल में तो कभी उस डाल में,
मैं कानन के हर रुक्ष में अपना आशियाना बुनता हूं,
मैं ठिकाना ढूंढता हूं,

कभी इस झाड़ में तो कभी उस झाड़ में,
मैं आखेट के भय से वन के हर कोने में छिपता हूं,
मैं ठिकाना ढूंढता हूं, बस ठिकाना ढूंढता हूं!

अथक परिश्रम करता हूं मैं,पराजय से मैं डरता हूं,
दिन भर उड़ानें भरता हूं मैं,
तब जाकर चंद दाना चुगता हूं,
मैं ठिकाना ढूंढता हूं,

ये ज़मीं नहीं है घर मेरा, मैं आसमान का बासिंदा हूं
छोड़कर ये ज़मीं भर–भर के उड़ानें,
मैं आसमान छूता हूं,
हां मैं एक परिंदा हूं, बस एक आज़ाद परिंदा,
तभी तो मैं ठिकाना ढूंढता हूं, बस ठिकाना ढूंढता हूं।।"

-----कमलकांत घिरी'




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

ताज मोहम्मद said

बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। अति उत्तम रचना।

Vineet Garg said

Deep meaning👍

Ankush Gupta said

Very nice ..

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam ATI Uttam Kant Sir kya baat hai..

कमलकांत घिरी said

Sukriya sir🙏

वन्दना सूद said

बहुत सुंदर और शानदार प्रस्तुति 👌👌

कमलकांत घिरी replied

बहुत बहुत धन्यवाद मैम 🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

कमलकांत जी, बहुत बढ़िया कविता, वाह! एक पंछी का स्थाई ठिकाना नहीं होता, एक ही डाल पर सदा आशियाना नहीं होता ।

कमलकांत घिरी replied

Ji bilkul sahi kaha aapne sir ji, bahut dhanyawad aapka🙏

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