ठहर जाओ तुम पल भर
सोच लो थोड़ा रुक कर
नहीं तो एक दिन ऐसा भी आएगा
जब बच्चे बच्चों से पूछेंगे
कि बचपन कैसा होता है ?
जब बच्चे मम्मी पापा से पूछेंगे
कि बचपन कैसा होता है ?
जब बच्चे दादा-दादी ,नाना-नानी से पूछेंगे
कि बचपन कैसा होता है ?
अब मोबाईल,टीवी,कंप्यूटर में ही खेल रह गए बचपन के
स्मार्टनेस देकर खेल-कूद ,मस्ती के पल सब छीने उनसे
जो उम्र शुरू होती थी पंद्रह से
वह शुरू हो जाती है अब पाँचवें साल से
यदि नहीं रुके हम अब भी
तो वो दिन दूर नहीं
जब बचपन कोई उम्र नहीं कहलाएगी
तब हर कोई पूछा करेगा
बचपन कैसा होता था ..
वन्दना सूद