नींद में डूबे है जागना नही चाहते।
जो भी होगा समझ लेगे समझते।।
वाहियात सोच के पर कतरने होंगे।
कल को जाने क्यों वो नही समझते।।
बड़ा जोखिम उनको रास्ता दिखना।
मायावी रास्ते को रास्ता नही समझते।।
खुले कानों से जो सुनकर नही सुनते।
दरवाजे खटक रहे हवा नही समझते।।
हाथ थामे भी कैसे औरों का 'उपदेश'।
अपनी समझते औरों की नही समझते।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद