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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

पापा, आपको याद करने का

पापा, आपको याद करने का
कोई दिन मुकर्रर
कैसे हो सकता है?
मेरा अस्तित्व,व्यक्तित्व,कृतित्व
सब आपसे हीं तो है
मेरे औरा में गूँजती है जो
वो आपकी बातें हीं तो है
जो प्रतिक्षण याद रहती है
फिर पापा, आपको याद करने का
कोई दिन मुकर्रर
कैसे हो सकता है ?

आपने कहा था,न अति कठोर न अति नर्म
न अति ख़ुशी न अति ग़म जीवन में हमेशा मध्यम मार्ग पर चलना
हमने ये मार्ग कभी छोड़ा हीं नहीं भूला हीं नहीं
फिर पापा,आपको याद करने का कोई दिन मुकर्रर
कैसे हो सकता है ?

आपने कहा था, विषम परिस्थितियों में भी धैर्य और साहस मत खोना
आपके इस मूलमंत्र को हमने जीवन मंत्र बना याद रखा प्रतिदिन
फिर पापा, आपको याद करने का
कोई दिन मुकर्रर
कैसे हो सकता है ?

आपने कहा था, सबसे बड़ा धर्म है परोपकार और
सबसे बड़ा काम है उच्चतर मूल्यों की तलाश हमेशा स्मरण रहे, तो कोई और धर्म कभी दिखा हीं नहीं विस्मरण कभी हुआ हीं नहीं
फिर पापा, आपको याद करने का
कोई दिन मुकर्रर
कैसे हो सकता है ?

आपने कहा था,महत्वपूर्ण होना अच्छा है, किन्तु
अच्छा होना इससे भी महत्वपूर्ण है, गाँठ बाँध लेना
आधी उम्र गुजर गई गाँठ कभी खुला ही नहीं
हमारे प्रतिदिन जीने का आधार है, मौलिक हिस्सा है आपकी सारी बातें सारी चाहतें
फिर पापा, आपको याद करने का
कोई दिन मुकर्रर कैसे हो सकता है ?




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (9)

+

सुभाष कुमार यादव said

अत्युत्तम रचना। पिता पर जितना लिखा जाए कम ही है। सच कहा आपने उनको याद करने का कोई दिन कैसे मुकर्रर हो सकता है, जो पास नहीं हैं पर हमेशा साथ हैं। बहुत सुंदर रचना। सादर प्रणाम।👌👌🙏🙏

श्रेयसी said

सच कहा आपने बहुत-बहुत आभार शुक्रिया सुभाष जी 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Pita ji ke dwara diye jaane wale mulyon ko sanjokar rakhna khud me Pita ji ke Saath ka prateek hai...un mulyon par chalna aur unhein pratikshan jina...anupam hai jese ham unhe or wo hame ji rahe hain un mulyon ke jariye...Aadarneey ne uchhtaam bhavon ke sath bahut sundar rachna ka srajan kiya hai....ek ek shabd aur bhaav mulywaan hain...
Aapko Saadar Pranaam Ma'am 🙏

वन्दना सूद said

बहुत सुंदर भावनाएँ और खूबसूरत अभिव्यक्ति 👏👏👌👌🙌🏻

श्रेयसी said

Itna achha samajhne ke liye bahut-bahut dhanyawad Ashok ji bahut-bahut aabhar shukriya 🙏🙏

श्रेयसी said

बहुत-बहुत आभार शुक्रिया वंदना जी 🙏🙏

सुप्रिया साहू said

पापा के प्रति प्रेमभाव और उनके बताए गए रास्ते पर हमेशा से चलना वाकई सौंदर्य है, आप उनके बताए गए रास्ते पर चलकर उन्हें आज भी जीवित रखा, बहुत सुन्दर रचना मैम 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Lekhram Yadav said

याद करने और मुलाकात करने का वक्त कभी मुकर्रर हो ही नहीं सकता और वो भी अपने पापा के साथ, जब दिल किया मिलने चले आओ, अब तो आप बहुत खूबसूरती से अपनी रचनाएं पेश करने लगी हो, आपको दिल से सलाम और ढेर सारे आशिर्वाद, आपको सुप्रभात सहित सादर नमस्कार।

श्रेयसी said

आपने इस काबिल समझा बहुत-बहुत आभार शुक्रिया ऐसे हीं आपका आशीर्वाद बना रहे,सादर प्रणाम लेखराम भैया 🙏🙏

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