पापा, आपको याद करने का
कोई दिन मुकर्रर
कैसे हो सकता है?
मेरा अस्तित्व,व्यक्तित्व,कृतित्व
सब आपसे हीं तो है
मेरे औरा में गूँजती है जो
वो आपकी बातें हीं तो है
जो प्रतिक्षण याद रहती है
फिर पापा, आपको याद करने का
कोई दिन मुकर्रर
कैसे हो सकता है ?
आपने कहा था,न अति कठोर न अति नर्म
न अति ख़ुशी न अति ग़म जीवन में हमेशा मध्यम मार्ग पर चलना
हमने ये मार्ग कभी छोड़ा हीं नहीं भूला हीं नहीं
फिर पापा,आपको याद करने का कोई दिन मुकर्रर
कैसे हो सकता है ?
आपने कहा था, विषम परिस्थितियों में भी धैर्य और साहस मत खोना
आपके इस मूलमंत्र को हमने जीवन मंत्र बना याद रखा प्रतिदिन
फिर पापा, आपको याद करने का
कोई दिन मुकर्रर
कैसे हो सकता है ?
आपने कहा था, सबसे बड़ा धर्म है परोपकार और
सबसे बड़ा काम है उच्चतर मूल्यों की तलाश हमेशा स्मरण रहे, तो कोई और धर्म कभी दिखा हीं नहीं विस्मरण कभी हुआ हीं नहीं
फिर पापा, आपको याद करने का
कोई दिन मुकर्रर
कैसे हो सकता है ?
आपने कहा था,महत्वपूर्ण होना अच्छा है, किन्तु
अच्छा होना इससे भी महत्वपूर्ण है, गाँठ बाँध लेना
आधी उम्र गुजर गई गाँठ कभी खुला ही नहीं
हमारे प्रतिदिन जीने का आधार है, मौलिक हिस्सा है आपकी सारी बातें सारी चाहतें
फिर पापा, आपको याद करने का
कोई दिन मुकर्रर कैसे हो सकता है ?

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




