गांव भी देख लिया है शहर भी देख लिया
कैसा घातक है अब जहर भी देख लियाI
आसमान पर जमीं पर और समन्दर में भी
कुदरत का है भयंकर कहर भी देख लियाI
जुर्म के व्यापार से बना कारू का खजाना
नशा है दवा दारू का असर भी देख लियाI
दास कितना अजीब लगता है घर ख़ुद का
संग है घोर तन्हाई ये सफर भी देख लिया।
लाख कोशिश करो ये समंदर नहीं सूखेगा
करो जो नेक दुआ का जिगर भी देख लिया I