बचपन के खेल-कूद यादगार में पिरोकर।
गुडिया की बिदाई पर छुपकर खूब रोकर।।
मिट्टी के खिलौने में हकीकत की परछाई।
त्यौहार के दिन घर-घर झिझिया मांगकर।।
हँस रही देखकर कृष्ण की सखी निकली।
लम्हा याद आता सुध-बुध खोई जानकर।।
तालाब किनारे पर स्थित जामुन का वृक्ष।
तमाशा हो गया 'उपदेश' गेंद को डुबोकर।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद