जिन्हें कभी मेरा दर्दो ग़म नहीं पता चलता था,
आज उन्हें मेरी आँखों में उनकी फ़िक्र
साफ़-साफ़ दिख रही है।
पूछ रहे हैं आज वो मुझसे,
कि क्यों आज इन आँखों में इतनी नमी है।
क्यों आज इन आँखों में सूजन है तुम्हारी,
क्यों आज छाई है इनमें इतनी उदासी।
एक अजीब सा तनाव दिख रहा इन आँखों में,
लग रही आज क्यों ये इतनी थकी - थकी।
कसूमल रंग बिखेर रही है आज क्यों,
लगता है रात चुपके से बहुत बरसी है ये।
किसकी फ़िक्र में समंदर बनी है,
क्यों इतनी परेशान दिख रही है ये।
(कसूमल- लाल)
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐