जात पात की राजनीति में
सबका सत्यानाश हो रहा है।
सिर्फ वोटों के चक्कर में
यह सब काम हो रहा है।
ना किसी को देश की चिंता
ना किसी की भी फिकर है
सिर्फ स्वार्थ सिद्धि में ये सब
हो रहा है।
भारत जैसे सोने की चिड़िया की
हर पंख हर उड़ान हर अभियान का
सिर्फ़ तोरन हो रहा है,
और देश के संसाधनों का सिर्फ़
दोहन हो रहा हैं।
देश के युवा सिर्फ सस्ती लोकप्रियता
में समय गवां रहें हैं।
वक्त की बरबादी कर सिर्फ़ रील बना रहें हैं।
यहां युवा शक्ति राजनीति के बाज़ार में
बेजार हो रहें हैं
हाथ पर हाथ धरे बेकार हो रहें हैं औरसिर्फ़
बेरोजगारी बेरोजगारी चिल्ला रहें हैं।
झूठ मूठ के होशियार बन
वक्त के साथ सबकुछ खो रहें हैं ।
सिफ बाबा के तोते की तरह
बेरोजगारी बेरोजगारी
नहीं है रोजगार ..
सिर्फ़ रोज़गार रोजगार चिल्ला रहें हैं
सिर्फ रोज़गार रोज़गार चिल्ला रहें हैं...