गर्व है नारी के वजूद पर,
नारी तो है एक करिश्मा प्रकृति का ,
जो केवल देने की क्षमता है रखती ,
नए जीवन का आग़ाज़ उसी से ,
अंधकार लेकर भी सबका जीवन है रोशन करती ।
नारी,तू तो जननी है ,नारी तू तो है जननी,
क्यों माँगे परवाह किसी से ?
और क्यों माँगे सम्मान किसी से ?
क्यों चाहिए,माँगा हुआ आत्मसम्मान किसी से ?
अपने दम पर ही,वजूद है तेरा ,
तू ही शक्ति,तू ही मुक्ति,तुझसे जुड़ी है जीवन-शैली,
सिर झुका कर नहीं , उड़ान भर कर ही ,
आत्मसम्मान पाने की जो है ठानी,
शत शत नमन है तुझको नारी!!
वन्दना सूद