कितना अनोखा होता है ना,
ये मन का बंधन...
मन के रिश्तों का ना कोई नाम होता है,
ना ही कोई बंदिश...
सात फेरों की तरह इसमें नही बनाया जाता
अग्नि को साक्षी...
ना ही इसे निभाने के लिए कोई सात वचन
लिए जाते हैं...
ये बंधन तो बिल्कुल मुक्त होता है,
बहती हवा सा...महकते इत्र सा,
जो अनायास ही जुड़ जाता है किसी से,
इस कदर बंध जाता है कोई मन की डोर से,
कि मन तलाशने लगता है इस भीड़ में...
उस नाम को, उसके लिखे हुए शब्दों को..
और उन्हें पढ़कर ढूँढ लेता है
अपने मन के सुकून को...
यही तो है मन का बंधन..
जिसमें ना किसी को बांधने की हसरत,
और ना ही किसी को छोड़ने का "मन"...
महसूस करके देखना 'उपदेश'.. आपके पास भी होगा,
एक ऐसा ही बंधन.. एक ऐसा ही मन..

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




