मानव-मानव मन से हो जाएँ मीत,
गाओ बंधु ऐसा कोई प्रेम का गीत,
सत्य,सनातन, संस्कृति और सौहार्द,
जीवन यात्रा में प्रतिपल जाएँ जीत।
गाओ बंधु ऐसा कोई प्रेम का गीत।
कर संबद्ध चले मानवता के पथ,
आसीन हो शांति, सद्भाव के रथ,
घृणा से सदैव ही प्रबल होगी प्रीत,
मानव को मानव से जोड़ सके रीत।
गाओ बंधु ऐसा कोई प्रेम का गीत।
स्वार्थ, मद, पाप प्रसृत चहु ओर,
मिटा कर सब बांध सके प्रेम डोर,
भारत माता के अंश हम भारतीय,
रहे सदा स्मरण अपना स्वर्णातीत।
मानव-मानव मन से हो जाएँ मीत,
गाओ बंधु ऐसा कोई प्रेम का गीत।
🖊️सुभाष कुमार यादव