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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तेरे शहर में

कापीराइट गजल

आज भी तेरे शहर में यूं घूमते हैं हम
इसीलिए तो ये पता तेरा पूछते हैं हम

जुदा जिसकी खुशबू वो गुलाब हो तुम
उसी गुलाब की खुशबू को ढ़ूंढ़ते हैं हम

मचाई है जिस ने मेरे दिल में हलचल
उसी हंसी चेहरे को अब ढ़ूंढ़ते हैं हम

तेरे ही लिए शहर में आ गए हैं हम
तुझे कस्तूरी की तरह से ढूंढ़ते हैं हम

पता ठिकाना तेरा हमें कहीं मिल जाए
बार-बार सभी से यही पूछते हैं हम

एक बार मुझे तुम जो मिल जाओ यादव
बता देते इन सबको क्यूं पूछते हैं हम

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

ताज मोहम्मद said

बहुत खूब भाई जी।

Lekhram Yadav replied

शुक्रिया ताज भाई।

रीना कुमारी प्रजापत said

लाजवाब

Lekhram Yadav replied

मेरी प्यारी बहना आपको गजल पसन्द आई आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

पता है पर लापता है यादव सर, वही अमर अकबर एंथोनी, रूपमें प्रेम गली, खोली नम्बर चार सौ बीस प्रणाम स्वीकार करें 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

सर नमस्कार। असल पता लिखते समय उंगली बहक गई। रूपमहल, प्रेम गली खोली नम्बर चार सौ बीस की जगह कुछ और टाईप हो गया। आपका हार्दिक स्वागत है।

फ़िज़ा said

बहुत खूब बहुत ही उम्दा लिखा ज़नाब

Lekhram Yadav replied

आदरणीय फ़िज़ा जी धन्यवाद सहित नमस्कार। आपको यह अच्छा लगा मेरा सौभाग्य है।

कमलकांत घिरी said

बहुत ही सुंदर रचना है सर लाजवाब बेमिसाल👌🙌👏

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात एवं नमस्कार भाई कमलकांत घिरी साहब। आपको मेरी रचना लाज़वाब लगी उसके लिए आपका हार्दिक धन्यावाद।

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