सूरज की अरुणिमा आयी है
लाली साथ लायी है
क्या कहती यह लाली
कहती हैं कि अब जाग मनुज
तज कर निराशा का अंधियारा
नव ओज से नव जोश से
कर तू नव संधान
आज विश्व क्रांति ने तुझे
फिर पुकारा है बाहें पसार
तू कर वह निर्माण जिसमें
ना हो विनाश की आस
सूरज की अरुणिमा आयी है
----अर्पिता पांडेय