अर्थ की सलीब पर लटका हुआ है सच
दर्द की दहलीज पर अटका हुआ है सच
झूठ के पर निकल आये हैं जानदार बड़े
व्यर्थ की तहजीब पे भटका हुआ है सच
सारी दुनियां के लोग अब साथ हैं उसके
घर में बड़े करीने से झटका हुआ है सच
कल जो इरादे नेक थे पर दास हम मिले
हाथों में पत्थर लिए झुकता हुआ है सच
खोखली बातों पे कोई कितना यकीं करे
पलपल यहां पे झूठ से डरता हुआ है सच...


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







