ओय देश मेरे तेरा क्या कहना
तू सब देशों का सिरमौर है।
गंगा जमुना कृष्ण कावेरी
बहती नदियां चहुं ओर हैं।
यहां मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारें ।
यहां होली दिवाली क्रिसमस गुरुवाणी।
यहां मस्जिद की अज़ान तो
मंदिर की प्रतिष्ठा प्राण है।
यहां सब जाति सारे धर्मों की
एक अलग पहचान है।
यहां सरोवर तरुवर ग्रह नक्षत्र
सभी देवता समझें जातें हैं।
यहां देव दानव राक्षस मानव
सभी पूजें जातें हैं।
यहां खेत खलिहान तो ऊंचे मकान
यहां हर किसी का होता सम्मान
दुश्मन को भी गले लगाते हैं।
देश मेरा यह वीरों की धरती
यहां वीर बसें गली गली।
देखो यह धरती मस्त लगे
सुबह शाम लगे खिली खिली..
हरी भरी नीली पीली
हरी भरी नीली पीली...