वेद मैंने ही लिखे है
पर मै वेदों में नहीं हूँ l
गीता मैंने ही कही है
पर मै गीता में नहीं हूँ l
मन्दिर मैंने ही बनाया है
पर मै मन्दिर में नहीं हूँ l
समस्त ग्रंथ-मंत्रो की निर्मिति मेरे द्वारा ही हुई है
पर मै ग्रंथ-मंत्रो में नहीं हूँ l
इस सृष्टी की रचना मेरे द्वारा ही हुई है
पर मै सृष्टी में नहीं हूँ l
हे भगवंत...
तुम गुणातीत l
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️