वफाई का क्या ख़ूब बदला मिला है।
बुझ गया चराग जो इश्क़ का जला है।
तड़प के दिल का बुरा हाल हो रहा है।
एक पल भी जीना मुहाल हो रहा है।
एक बार तो नज़रें इनायत कर इधर भी
अरे प्यार बिना जीवन में क्या रक्खा है।
मयस्सर नहीं तेरे दरस की एक झलक भी
लगता है तू तक़दीर में हीं नहीं लिक्खा है।
तमाम कोशिशों तुझे अपना बनाने की
नाकाम हों गईं ।
तू भी दूज जी चांद की तरह कहीं छुप
गई ।
हुई हो गर खता तो मुझे माफ़ करना
पर मेरे दिल की दुनियां को रौशन हीं रखना।
तालीमे अदद ये इल्तेज़ा है मेरी कि
तू भरोसा मुझपे ज़रूर कायम रखना।
तू प्यार मेरा दिलदार मेरा है..
बस ये करमे इनायत ज़रूर करना
की सारे बंधनों को तोड़ कर तू आ जाए
मेरे पास ख़ुदा के वास्ते....
अपने दिल को इतना मज़बूर करना...
अपने दिल को इतना मजबूर करना..