सारी रात जागती उसको जगाती
शरारत करने के लिए उसे उकसाती
इस तरह के दौर में प्रफुल्लित होकर
हँसने की कोशिश में कसमसाती
दिल छटपटाता फिर खुलकर हँसती
बेख़बर, बेधड़क होकर उसपर गिरती
उसकी आँखों में झाँक कर चूम लेती
इस तरह सहवास में उसको कसती
जीवन की रफ़्तार समझता खूब वो
साँसे जोरों से चलती फिर न रुकती
सीधा है, सरल है, इशारों की भाषा में
तूफान शांत होने पर हांफने लगती
प्यार की फितरत, वक्त की नजाकत
एक एहसास है, मैं हूँ, तुम्हारी मस्ती
हवा है, रंगीन मौसम में आपकी खुशबू
साँसें हैं, धड़कनें है 'उपदेश' जीवन कश्ती
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद