समाज सेवा- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
जाल फैलाया,
अपनी लोमड़ी को दौड़ाया।
जंगल में दफ्तर,
सरकारी सियार को बुलाया।
मौहर अपनी,
स्याही है सरकारी।
आधा तेरा आधा मेरा,
खीर यही है खानी।
कहानी यही बनानी,
समाज सेवा है।
न कोई लाभ,
न कोई हानि।
खाता एक नहीं,
दो खुलवाइए।
जोभी हो,
तत्काल आजीवन सदस्य बनाइये।
इन भेड़ बकरियों को,
कुछ हरा चारा डलवाइये।
आहिस्ता- आहिस्ता,
नोंच खाइए।