खामोश निगाहें भी बहुत कुछ कहती है,
बंद जुबान भी हाल-ऐ-दिल बयान कर जाते हैं,
पढ़ने वाले पढ़ लेते हैं,
समझने वाले समझ जाते हैं,
फर्क सिर्फ इतना है की.....
कोई तत्परता दिखलाता है,
तो क्यों यूँ ही टाल देता है,
तो कोई समझने की कोशिश ही नहीं करता,
कोई समझकर भी अंजान बन जाता है,
और कोई मूक-दर्शक ही बना रहता है,
और हम जैसे लोग दिल के करीब आ जाते हैं.....!!!
#संजय श्रीवास्तव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




