मेरी गली में,आए तो आए
मुड़कर देखे और मुस्कराए
हालत ये मेरी हो गई है कैसी
कहां भी न जाए, रहा भी न जाए
तिरछी नजर से, देखा पलट के
जुल्फें गिरा दी, हल्की झटक के
नजाकत ये कैसी, छपी दिल में ऐसी
मरा भी न जाए,जिया भी न जाए
शिकायत भी की, शरारत भी की
मासूम आंखों से, हिमाकत भी की
हमारी आंखों में, समायी वो ऐसी
जगा भी न जाए, सोया भी न जाए
मासूमियत से, डराती भी है वो
पलकें झुका कर बुलाती भी है वो
लगी आग कैसी, दिल में है ऐसी
जला भी न जाए, बुझा भी न जाए
सावन अब उसके बिना नहीं सावन
मौसम सुहावन लगे ना सुहावन
बेचैनियां है न जाने ये कैसी
उठा भी न जाए,बैठा भी न जाए
करती है क्या, वो सितारों से बातें
हमारी तरह क्या, गुजरती है रातें
बनेगी भी क्या वो हमारी कहानी
पूछा भी न जाए, रहा भी न जाए।।
सर्वाधिकार अधीन है