वह जो आज है
तुम उसे कल में ढूंढ रहे हो
वह जो इसी क्षण में है
तुम उसे अगले पल पर ढकेल रहे हो
उसकी सारी लीला वर्तमान में है
तुम उसे भुत-भविष्य में खोज रहे हो
कोई राम कथा सुन रहा है
कोई गीता का अभ्यास कर रहा है
कोई वेदो में डुबकी लगा रहा है
कोई पुराण रट रहा है
यह तो सब पुराणी बातें है
वह तो नितनूतन
किसी खंडर में पड़े किसी मूर्ति से क्या प्रयोजन ?
किसी गुंफा में बने किसी लिंग से क्या प्रयोजन ?
यह तो सब व्यर्थ की बातें है
वह तो कणकणवासी
उसकी तलाश नहीं हो सकती
उसकी खोज नहीं हो सकती
वह तो नित्यप्राप्त
हम उसीमे है यह धारणा
यह धारणा
हे भगवंत...
हमें सत्य तक पहुँचा देगी।
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




