माँ के वियोग की पुकार
तेरी सांसें मेरी ही कहानी सुनाती हैं,
तू माने या ना माने
तू मेरे ही संस्कारों की छवि है।
आज भी तेरे चेहरे को पढ़ लेती हूँ
तेरी थकान मेहनत की है या जीवन के संघर्ष की,
पहचान लेती हूँ, मैं ।
तेरे हर भाव,मेरी आँखों से होकर गुज़रते हैं,
तू माने या ना माने
तेरे होंठों की हर मुस्कान पर
मेरा मन प्रभु के चरणों में झुक जाता है
तेरी हर आह से पहले
मेरा दिल आह भरता है।
मेरी हर दुआ तुझसे ही शुरू होकर
तुझ पर ही खत्म होती है।
मैं कोई और नहीं,-‘माँ’हूँ तेरी।
हर नज़र मेरी बस तेरे ही आने का इंतज़ार करती है..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है