Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

मुलाक़ात

आज एक अरसे बाद होने वाली थी
हमारी उनसे मुलाक़ात,
दिल भी उनसे मिलने को था, बड़ा ही बेताब।

वक्त उनसे मुलाक़ात का क़रीब था,
दिल भी ये मेरा बहुत बैचेन था।
आ गया अब वो वक्त भी
जब खड़े थे वो मेरे सामने।

आज एक अरसे बाद हो रही थी उनसे मुलाक़ात, धड़कने बढ़ गई, सांसे थम गई
दिल में हुई हलचल।

दो दिलों का मिलन आज था,
वो भी थे चुप, हम भी थे ख़ामोश
आंखों से निकलने लगे थे खुशियों के अश्क़।

आज एक अरसे बाद उनसे हुई मुलाक़ात,
हमारी नहीं पर हमारे दिलों की तो हुई आपस में बात।

नज़रें चुरा रहे थे उनसे कहीं हमारे रोने की ख़बर उन्हें ना हो जाए,
चुपके से पोछा इन आंसुओं को और देखा नज़रें उठाकर उन्हें।

लग रहा था उन्हें देखकर,
जितने थे उनसे मिलने को हम बेताब
उतने ही थे वो भी बेताब,

जितने दर्दों से हम गुज़रे हैं उनकी जुदाई में, गुज़रे हैं वो भी उन्हीं दर्दों से।

"रीना कुमारी प्रजापत"






समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

नूतन प्रजापति said

सुन्दर बहुत खूब 👍👍

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया

अनुष्का सिंह said

वाकई बहुत खूब लिखा 👏👏

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपका अनुष्का जी🙏

फ़िज़ा said

बहुत खूब क्या बात है आफरीन आफरीन गज़ब लाजवाब पढ़कर अच्छा लगा

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपका

कमलकांत घिरी said

वाह दीदी बेहतरीन, लाजवाब 👌👌👏🙏 ।। सुप्रभात।।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks Bhai सुप्रभात 🙏

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं

लिखन्तु - ऑफिसियल

अब तो बस कर दूर न जा....!

Apr 05, 2024 | कविताएं - शायरी - ग़ज़ल | लिखन्तु - ऑफिसियल  | 👁 28,457



लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन