बात सबकी नजर शामियाने बहुत
पेड़ पर हैं बने आशियाने बहुत।।
रात तन्हा यहां आदमी हैं जुदा
चोट दिल पर लगी फिर रुलाए बहुत।।
जिंदगी शोर हैं ज़ख्म दिल पर लगा
पास देखा गया वो ज़माने बहुत।।
साथ उनका निभाए वही यार अब
जिंदगी एक दिन में निभाते बहुत।।
नेक इंसान हैं जो खुदा की तरह
देख कर चल यहां तो बुलबुले बहुत।।
हो गए घाव दिल के पुराने बहुत
जिंदगी हैं दर्द में रुलाए बहुत।।
----कनक