पहरों पहर निहारते हो मुझे,
मुझमें वो शख़्स दिख गया क्या?
ऐसे क्या देखते हो मुझे,
कोई गुनाह मुझसे हो गया क्या?
शब से रात हुई थे कहाॅं तुम,
आज फिर कोई दिल में उतरा था क्या?
काली रात में भी चमक रहा चेहरा,
कोई बरसों बाद आज मिला था क्या?
ये हया कैसी आंखों में तुम्हारी,
मोहब्बत का इज़हार उसने किया था क्या?
बरसों पहले इंकार किया था उसने,
आज उसी बात पर इक़रार किया था क्या?
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




