अपने कहे पर अटल रह नहीं सकती
तो कहती क्यों हो?
मैंने तो नहीं मांगा था तुझसे कभी भी कुछ
हमेशा से तू ही देने का वादा करती आई फिर जब
भी देने की बारी आती है,
तो अपनी ज़ुबान से मुकरती क्यों हो?
अपने किसी काम पर जब एक दिन पछताना ही है,
तो ऐसा काम करती क्यों हो?
पहले तो जोश-जोश में कर लेती हो कुछ भी,
फिर अंजाम के वक्त डरती क्यों हो?
🌼 रीना कुमारी प्रजापत 🌼
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




