कितना दर्द है सीने में
मुश्किल बहुत है जीने में
सुकूँ कहीं लापता है,
अंदर से कितना टूटा हूँ
पर उसके लिए मैं झूठा हूँ
आँखों को कौन समझे
विरह में कितनी रोई
याद करके उसकी बातें
यूँ ही तन्हा पलके धोई
वो शख़्स मेरे थे हमसफ़र
तोड़े उम्मीद गए जिधर
उससे मेरी इतनी अनबन,
कभी न थी कहीं से भी
जिसने बूंद बूंद ज़हर देकर,
मेरे नस- नस में घोल दिया
मैं जब भी अपना कहना चाहा,
दौलत में इश्क को तौल दिया
मनोज कुमार यकता

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




