हकीकत में उम्र एक संख्या भर होती।
जीवित एहसास धड़कन स्वर पिरोती।।
दुनिया चाहती व्यवहार उम्र के जैसा।
बुजुर्ग के हालात पर तवज्जो भर देती।।
उम्मीद से ज्यादा नही ज़ज्बात पर कम।
हँसने हँसाने पर कुछ पाबंदी कर देती।।
दिल उनका भी सपने देखता 'उपदेश'।
अनियंत्रित आत्मा जीवित भर रहती।।
यादें बढ़ती जाती बुद्धि गहराती उनकी।
बुजुर्ग की एक मौन सुंदरता भर होती।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद