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कविता की खुँटी

                    

ऐ मेरे स्कूल - Dev Prakash Gurjar

Mar 04, 2024 | कविताएं - शायरी - ग़ज़ल | लिखन्तु - ऑफिसियल  |  👁 37,476


ऐ मेरे स्कूल मुझे,
जरा फिर से तो बुलाना
कमीज के बटन ऊपर से नीचे लगाना।
ब्लेक बोर्ड पर कुछ लिखना,
पुछने पर सर के दूसरों का नाम लगाना।
अपनी आईस बैगसे पैन चुराना ,
और फिर से वापस न लौटना।
ऐ मेरे स्कूल मुझे,
जरा फिर से तो बुलाना।।

वो बड़े नाखूनों को दांतो से चबाना,
लंच में गोलगप्पे खाना,
और लेट होने पर बाजार में चक्कर लगाना।
कभी कभी यू ही लंच में क्लास में रुक जाना,
और अपनी आईस से मीठी मीठी बातें करना,
पूछने पर सर के तबीयत खराब का बहाना लगाना।
ऐ मेरे स्कूल मुझे,
जरा फिर से तो बुलाना।।

वो साथी के बैठने से पहले ही बेंच सरकाना,
गिरने पर उसके जोर जोर से खिल खिलाना।
ऐ मेरे स्कूल मुझे,
जरा फिर से तो बुलाना।।

सर्दी में धूप में क्लास लगवाना,
और सर से ही सर के, घर परिवार के किस्से सुनते जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे,
जरा फिर से तो बुलाना।।

साथी आईस से आईसक्रीम खाने की बात करते ही जाना,
एग्जाम से पहले गुरु जी के चक्कर लगाना,
लगातार बस इंपॉर्टेंट इंपॉर्टेंट ही पूछते जाना।
वो उनका पूरी किताब में निशान लगवाना,
हमारा यू ही सारे कोर्स को देखकर सर चकराना।
ऐ मेरे स्कूल मुझे,
जरा फिर से तो बुलाना।।

वो लन्च होने का इन्तजार करना,
हो जाने पर लंच अपनी आईस से मीठी-मीठी बातें करना।
ऐ मेरे स्कूल मुझे,
जरा फिर से तो बुलाना।।

एक दूसरे की ओर देखना,
और मंद - मंद मुस्कुराना,
रोज गुड़ मॉर्निंग बोलना
जाते वक्त अलविदा कहना।
रास्ते में स्कूल के पल को याद करना,
घर जाते ही बैग को साइड़ मे रख देना,
मम्मी और बहन साथ मस्ती के पल में डूब जाना,
ऐ मेरे स्कूल मुझे,
जरा फिर से तो बुलाना।।

  • Dev Prakash Gurjar Ji




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