अहिंसा है जीवन का अनुपम संदेश,
न हो क्रोध, न हो द्वेष, न कटुता का प्रवेश।
करुणा की धारा बन बहती अहिंसा,
शांति की स्नेह-गंगा कहती अहिंसा।
न्याय की जननी, धर्म की रानी,
अहिंसा से होती सृष्टि सुहानी।
जहाँ वाणी न चुभे, न वचन हो कठोर,
वहीं खिलता है जीवन का कोमल भोर।
महात्मा बुद्ध ने जब हिंसा को त्यागा,
तभी विश्व ने करूणा का दीप जलाया।
"अहिंसा परमो धर्मः" — सम्राट अशोक ने बताया,
कलिंग की पीड़ा से जीवन का मर्म अपनाया।
अहिंसा है आत्मा की सबसे ऊँची उड़ान,
नहीं चाहिए तलवार, ना चाहिए कोई कमान।
यह शक्ति है, दुर्बलता नहीं,
मन की विजय है, शस्त्रों की नहीं।
जब मनुज अपनाए इस राह को सच्चा,
तभी मिटे हर द्वेष, और न बचे कोई पचड़ा।
जीवों में करुणा, ह्रदय में दया,
यही है जीवन की सच्ची माया।
अहिंसा से जुड़ती मानवता की कड़ी,
नफरत की दीवारें हो जाएं जड़ी।
यह प्रेम का बीज है, सबके भीतर बोओ,
आक्रोश की आग को शांति से धोओ।
अहिंसा से बढ़ता आत्म-संयम,
बनता है जीवन एक सुंदर तत्त्व-धर्म।
न हो पशुहत्या, न हो जीवदाह,
हो प्रकृति के संग एक मधुर राह।
यदि हर मन में बस जाए यह व्रत,
तो दुनिया में न रह जाए कोई संकट।
विश्व बने बगिया, अहिंसा उसका पुष्प,
हर मन हो सुगंधित, हर प्राण हो विशुद्ध।
हिंसा से होता सर्वनाश,
अहिंसा से होता सर्वकल्याण-विकास।
यह नीति नहीं, यह संस्कृति है,
यह मात्र साधन नहीं, शक्ति की प्रकृति है।
तो आओ मनुज! इस पथ को अपनाओ,
बुद्ध, गांधी, अशोक की वाणी दुहराओ।
अहिंसा है वो मंत्र जो सबको जोड़ता,
मानव को मानव से प्रेम में मोड़ता।
----अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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