बुरा तो हो गया अब उस पर विचार क्यों।
सुलगने वालों को और सुलगा सुधार क्यों।।
दूसरे किरदार पर उँगली उठाना राजनीति।
इसको जारी रखना जरूरत मेरी सुधार क्यों।।
बदगुमानी आ ही जाती शौहरत मिलने पर।
चियरलीडर्स के बिना सूना सूना सुधार क्यों।।
आलोचना करना राजनीति में रीड की हड्डी।
सही गलत जिसको जानना जाने सुधार क्यों।।
हौसलों का जिक्र करके क्या मिलेगा 'उपदेश'।
जंग करना न सीखा कराना आता सुधार क्यों।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद