आग कौन लगाता और पकड़ा कौन जाता।
पूछने वाले किससे पूछते किसका बयान आता।।
न इतना शोर कर जालिम वक्त बदलने लगा।
खेल खुल चुका दरबार में दरबारी का नाम आता।।
तसल्ली देने वाले कितनी भी तसल्ली देते रहे।
नफरत पालने वालो को पर्दा गिराना नही आता।।
जिस राह पर निकले जहन्नुम के तरफ जाती।
किसी से बैर करते हो तो इक़रार क्यों नही आता।।
जनता के बीच भरोसा तोड़कर मानेंगे 'उपदेश'।
कोई और रास्ता उनको समझ में ही नही आता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद