प्रकृति की करुणामय रचना,
सुनहरी किरणों से भरी विलासित गाथा।
प्रशांत वाताओं में बसी खुशबू,
ग्रीष्म ऋतु का स्वागत करती है फूलों की भूमि।
प्राणी और प्राणियों का मेल,
संगीत सुनाती बरसात की लहर।
वन और पहाड़ों की शानदार छाया,
उत्सव बनी प्रकृति की महाकविता।
हरियाली से धूमिल स्थल,
बहुते रंगों की चट्टानें और खेल।
पशु-पक्षियों का मधुर संगीत,
धरती माँ की आँचल सुगंधित।
-अशोक कुमार पचौरी