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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अगर मैं कह दूं

अगर मैं कह दूं मर मिटेंगे हम तुझपे,
क्या वो भी कहेगा हम भी जान लूटा देंगे तुझपे?
अगर मैं कहूँ बेइंतहा मोहब्बत करती हूॅं,
अगर मैं कहूॅं बेइंतहा मोहब्बत करती हूॅं तुझसे
लेकिन क्या वो यकीं करेगा मुझपे......

अगर मैं कह दूं उससे
कि जी नहीं सकती बग़ैर तेरे,
क्या वो भी ऐसा ही कुछ कहेगा?
अगर मैं कह दूं तू है तो मैं,
तू नहीं तो नहीं मैं,
क्या वो मुझपे एतबार करेगा.........

अगर मैं कह दूं उससे
कि तू मेरी ज़िंदगी में ज़रूरी है ऐसे
जैसे जिस्म में रूह का होना ज़रूरी है,
क्या वो फ़िदा हो जायेगा मुझपे?
अगर मैं कह दूं मेरे दिल में,
मेरी यादों में सिर्फ़ तू रहता है, क्या वो भरोसा करेगा मुझपे........

अगर मैं कह दूं रातों को नींद नहीं,
दिन में चैन नहीं ऐ सनम तेरे बिना, क्या वो कहेगा हम भी बेकरार है तेरे बिना?
अगर मैं कह दूं तेरे मुंतज़िर है हम,
क्या वो कहेगा तेरे तलबगार है हम........

💐रीना कुमारी प्रजापत🖋️🖋️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात सहित नमस्कार मेरी प्यारी बहना। मन की काल्पनिक अलग होती है और वास्तविक चाहत अलग होती है। मानसिक द्वन्द की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति पेश की है आपने, आपको सादर प्रणाम।

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपका

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoob Mam...Pranam sweekar Karein 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार प्रणाम 🙏🙏

श्रेयसी said

Bahut sunder udgar 👌👌🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks ji

वन्दना सूद said

बहुत खूब 😊👌👌

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks

Sanjay Srivastva said

"शायद"... पर अटकी प्रेम भाव, अति सुंदर 😊

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏🙏🙏

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