सावन की पहली बारिश और तुम
बन गए हो रिमझिम सी कोई बात,
भीगी भीगी हवा में घुल गई हो जैसे
मेरे दिल की हर एक सौगात।
बूँदें गिरीं तो लगा तुम्हारा नाम लिख गया है आसमां,
तुम्हारी हँसी की गूंज है जैसे बादलों का गान।
पहली फुहार संग तेरी यादें भी बरस पड़ीं,
भीगी ज़ुल्फों में तेरा चेहरा,
इन राहों में तेरा इंतजार वही।
मिट्टी की सौंधी खुशबू में
तेरे होने का एहसास घुला,
कहीं पास हो शायद तुम
या सावन खुद तुम्हें लेकर चला।
हर बूँद में तेरा ही अक्स दिखे,
हर ठंडी हवा में तेरा ही जिक्र चले,
दिल कहे, इस बारिश में
तेरा हाथ थाम, बस चलूं कहीं।
तुम जो पास हो
तो सावन भी शरमा जाए,
तुम जो मुस्कराओ
तो बादल भी ठहर जाए।
पहली बारिश, पहला एहसास,
तुम बिन अधूरा है मेरा हर जज़्बात,
आज ये बादल, ये फुहार,
सब तुमसे मिलने की फ़रियाद।
बारिश भी तुम, भीगना भी तुम,
इस दिल की हर आरज़ू भी तुम,
इस मौसम में बस इक दुआ है मेरी —
कभी तो कह दो, ‘मैं भी तुम्हारी हूँ'।
----अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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